rahim ke dohe | rahim ke dohe in hindi | rahim dohe | रहीम के दोहे, raheem ke dohe | rahim ke dohe with meaning in hindi
रहिमन धागा प्रेम का, मत तोरो चटकाय
टूटे पे फिर ना जुरे, जुरे गाँठ परी जाय
अर्थ: रहीम🙂🙂 कहते हैं कि प्रेम🥰 का नाता नाज़ुक होता है. इसे झटका देकर तोड़ना😔 उचित नहीं होता.
यदि यह प्रेम 🥰 का धागा एक बार टूट जाता है तो फिर इसे मिलाना कठिन 😩होता है
और यदि मिल भी जाए तो टूटे हुए धागों के बीच में गाँठ पड़ जाती है|
वे रहीम नर धन्य हैं, पर उपकारी अंग।
बाँटनवारे को लगै, ज्यौं मेंहदी को रंग॥
अर्थ :-रहीम🙂 कहते हैं कि वे पुरुष धन्य🙏 हैं जो दूसरों का उपकार🙏 करते हैं।
उन पर रंग उसी तरह उभरकर आता है. जैसे कि मेंहदी बांटने वाले को अलग से रंग लगाने की जरूरत नहीं होती।
रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिए डारि
जहां काम आवे सुई, कहा करे तरवारि
अर्थ:रहीम🙂🙂 कहते हैं कि बड़ों को देखकर छोटों को भगा😔 नहीं देना चाहिए।
क्योंकि जहां छोटे का काम होता है वहां बड़ा कुछ नहीं कर सकता.। जैसे कि सुई के काम को तलवार नहीं 🙁कर सकती।
rahim ke dohe in hindi
चाह गई चिंता मिटी, मनुआ बेपरवाह।
जिनको कछु नहि चाहिये, वे साहन के साह॥
अर्थ – रहीम🙂 दास जी कहते हैं कि जिन्हें कुछ नहीं चाहिए वो राजाओं 👑के राजा हैं।
क्योंकि उन्हें ना तो किसी चीज की चाह है, ना ही चिंता और. मन तो बिल्कुल बेपरवाह है।
रहिमन अंसुवा नयन ढरि, जिय दुःख प्रगट करेइ,
जाहि निकारौ गेह ते, कस न भेद कहि देइ||
अर्थ: रहीम🙂 कहते हैं कि आंसू नयनों से बहकर मन का दुख😭 प्रकट कर देते हैं।
सत्य ही है कि जिसे घर से निकाला जाएगा. वह घर का भेद दूसरों से कह ही देगा.
जो रहीम ओछो बढ़ै, तौ अति ही इतराय।
प्यादे सों फरजी भयो, टेढ़ो टेढ़ो जाय॥
अर्थ :- रहीम🙂 दास जी कहते हैं कि ओछे लोग जब प्रगति 💒करते हैं तो बहुत ही इतराते हैं।
वैसे ही जैसे शतरंज के खेल में जब प्यादा फरजी बन जाता है तो वह टेढ़ी चाल चलने लगता है।
rahim dohe
जैसी परे सो सहि रहे, कहि रहीम यह देह
धरती ही पर परत है, सीत घाम औ मेह||
अर्थ: रहीम🙂 कहते हैं कि जैसी इस देह पर पड़ती है – सहन करनी चाहिए, क्योंकि इस धरती पर ही सर्दी🥶, गर्मी 🥵और वर्षा 🌧️पड़ती है.
अर्थात जैसे धरती शीत, धूप और वर्षा सहन करती है, उसी प्रकार शरीर को सुख-दुःख सहन करना चाहिए
रहिमन निज मन की बिथा, मन ही राखो गोय|
सुनी इठलैहैं लोग सब, बांटी न लेंहै कोय||
अर्थ:रहीम🙂 कहते हैं कि अपने मन के दुःख☹️ को मन के भीतर छिपा कर ही रखना चाहिए
दूसरे कर दुःख सुनकर लोग इठला भले ही लें, उसे बांट कर कम करने वाला कोई नही होता.
बड़ा हुआ तो क्या हुआ, जैसे पेड़ खजूर |
पंथी को छाया नहीं, फल लागे अति दूर ||
अर्थ : रहीम🙂 कहते हैं बड़े होने का यह मतलब😔 नहीं हैं की उससे किसी का भला हो.
जैसे खजूर का पेड़ तो बहुत बड़ा होता हैं लेकिन उसका फल इतना दूर होता है की तोड़ना मुश्किल का कम है |
रहीम के दोहे
एकहि साधै सब सधैए, सब साधे सब जाय|
रहिमन मूलहिं सींचबोए, फूलहि फलहि अघाय||
अर्थ: रहीम🙂 कहते हैं कि एक को साधने से सब सधते हैं. सब को साधने से सभी के जाने की आशंका😕 रहती है
– वैसे ही जैसे किसी पौधे के जड़ मात्र को सींचने से फूल और फल सभी को पानी प्राप्त हो जाता है
और उन्हें अलग अलग सींचने की जरूरत नहीं होती है.
दोनों रहिमन एक से, जों लों बोलत नाहिं.
जान परत हैं काक पिक, रितु बसंत के माहिं||
अर्थ: रहीम🙂 कहते हैं कौआ और कोयल रंग में एक समान☝🏻 होते हैं।
जब तक ये बोलते नहीं तब तक इनकी पहचान नहीं हो पाती।
लेकिन जब वसंत ऋतु आती है तो कोयल की मधुर आवाज से दोनों का अंतर स्पष्ट हो जाता है|
दुःख में सुमिरन सब करे, सुख में करे न कोय ।
जो सुख में सुमिरन करे, तो दुःख काहे होय ।
अर्थ:रहीम🙂 कहते हैं कि संकट 😖में हर कोई प्रभु को याद🙏 करता है खुशी में कोई नहीं,
अगर आप खुशी में भी याद करते तो संताप होता ही नही ।
rahim ke dohe in hindi | रहीम के दोहे, raheem ke dohe | rahim ke dohe | rahim dohe | rahim ke dohe with meaning in hindi
raheem ke dohe
समय पाय फल होत है, समय पाय झरी जात
सदा रहे नहिं एक सी, का रहीम पछितात||
अर्थ: रहीम🙂 कहते हैं कि उपयुक्त समय आने पर वृक्ष🥦 में फल 🍒लगता है।
झड़ने का समय आने पर वह झड़ जाता है.
सदा किसी की अवस्था एक जैसी नहीं रहती, इसलिए दुःख के समय पछताना व्यर्थ है|
समय पाय फल होत है, समय पाय झरी जात ।
सदा रहे नहिं एक सी, का रहीम पछितात ।
अर्थ:रहीम🙂 दास कहते हैं कि कोई भी स्थिति हमेशा एक जैसी🙂 नहीं रहती है,
जैसा कि जब वसंत आती है तो पेड़ पर फल लगते है और जब शरद आती है तो सब गिर जाता है
इसलिए विकट स्थिति में पछताना व्यर्थ है ।
रूठे सुजन मनाइए, जो रूठे सौ बार.
रहिमन फिरि फिरि पोइए, टूटे मुक्ता हार||
अर्थ: रहीम🙂 कहते हैं कियदि आपका प्रिय सौ😇 बार भी रूठे, तो भी रूठे हुए प्रिय को मनाना चाहिए,
क्योंकि यदि मोतियों की माला टूट जाए तो उन मोतियों को बार बार धागे में पिरो लेना चाहिए|
rahim ke dohe
ओछे को सतसंग रहिमन तजहु अंगार ज्यों ।
तातो जारै अंग सीरै पै कारौ लगै ।
अर्थ:रहीम🙂 दास कहते हैं कि नीच लोगों👥 का साथ छोड़ देना चाहिए क्योंकि उनसे हर स्तर पर, हमें क्षति ही होती है।
जैसे जब कोयला गर्म होता है तब तक शरीर को जलाता है और जब ठंडा हो जाता है, तो शरीर को काला करता है ।
निज कर क्रिया रहीम कहि सीधी भावी के हाथ
पांसे अपने हाथ में दांव न अपने हाथ||
अर्थ: रहीम🙂 कहते हैं कि अपने हाथ में तो केवल कर्म😇 करना ही होता है सिद्धि तो भाग्य से ही मिलती है
जैसे चौपड़ खेलते समय पांसे तो अपने हाथ में रहते हैं पर दांव क्या आएगा यह अपने हाथ में नहीं होता
तरुवर फल नहिं खात है, सरवर पियहि न पान।
कहि रहीम पर काज हित, संपति सँचहि सुजान॥
अर्थ: रहीम🙂 दास कहते हैं कि 🌲वृक्ष अपने फल🍇 स्वयं नहीं खाते हैं और सरोवर भी अपना पानी स्वयं नहीं पीती है।
इसी तरह अच्छे और सज्जन व्यक्ति वो हैं जो दूसरों के कार्य के लिए संपत्ति को संचित करते हैं।
rahim ke dohe with meaning in hindi
बानी ऐसी बोलिये, मन का आपा खोय |
औरन को सीतल करै, आपहु सीतल होय ||
अर्थ : रहीम🙂 कहते हैं कि अपने अंदर के अहंकारकि😡 को निकालकर ऐसी बात करनी चाहिए जिसे सुनकर दुसरों को और खुद को ख़ुशी हो |
जाल परे जल जात बहि, तजि मीनन को मोह।
‘रहिमन’ मछरी नीर को तऊ न छाँड़ति छोह॥
अर्थ : रहीम🙂 दास कहते हैं कि इस दोहे में रहीम🙂 दास जी ने मछली के जल के प्रति घनिष्ट प्रेम🥰 को बताया है।
वो कहते हैं मछली पकड़ने के लिए जब जाल पानी में डाला जाता है
तो जाल पानी से बाहर खींचते ही जल उसी समय जाल से निकल जाता है।
परन्तु मछली जल को छोड़ नहीं सकता और वह पानी से अलग होते ही मर जाता है
rahim ke dohe
खीरा सिर ते काटि के, मलियत लौंन लगाय
रहिमन करुए मुखन को, चाहिए यही सजाय||
अर्थ: रहीम🙂 कहते हैं कि खीरे का कड़वापन 😇दूर करने के लिए
उसके ऊपरी सिरे को काटने के बाद नमक लगा कर घिसा जाता है.
rahim ke dohe in hindi
खैर, खून, खाँसी, बैर, प्रीति, मदपान।
रहिमन ढाबे ना दबैं, जानत सकल जहान।।
अर्थ :रहीम🙂 दास कहते हैं कि कवि ने यहां पर वास्तविकता का बोध कराते हुए यह बताने की प्रयास किया है
की जो सत्य है वह किसी के छिपाए नहीं छिपता है।
संपत्ति भरम गंवाई के हाथ रहत कछु नाहिं
ज्यों रहीम ससि रहत है दिवस अकासहि माहिं||
अर्थ: रहीम🙂 कहते हैं कि जिस प्रकार दिन में चन्द्रमा🌙 आभाहीन हो जाता है
उसी प्रकार जो व्यक्ति किसी व्यसन में फंस कर अपना धन गँवा देता है वह निष्प्रभ हो जाता है|
जो रहीम उत्तम प्रकृति, का करि सकत कुसंग।
चन्दन विष व्याप्त नहीं, लपटे रहत भुजंग।।
अर्थ : रहीम🙂 दास कहते हैं कि रहीम🙂 ने यहां पर संगत के असर को
एक अच्छे प्रकृति के इंसान के समक्ष फीका बताया है
रहीम के दोहे
पावस देखि रहीम मन, कोइल साधे मौन।
अब दादुर वक्ता भए, हमको पूछे कौन।।
अर्थ :- रहीम🙂 कहते हैं कि वर्षा ऋतु को देखकर कोयल और रहीम🙂 के मन ने मौन साध लिया है।
अब तो मेंढक ही बोलने वाले हैं। हमारी तो कोई बात ही नहीं पूछता।
अभिप्राय यह है कि कुछ अवसर ऐसे आते हैं जब गुणवान को चुप रह जाना पड़ता है।
उनका कोई आदर नहीं करता और गुणहीन वाचाल व्यक्तियों का ही बोलबाला हो जाता है।
जो बड़ेन को लघु कहें, नहीं रहीम घटी जाहिं.
गिरधर मुरलीधर कहें, कछु दुःख मानत नाहिं.
अर्थ: रहीम🙂 कहते हैं कि बड़े को छोटा कहने से बड़े का बड़प्पन 🙏नहीं घटता,
क्योंकि गिरिधर (कृष्ण) को मुरलीधर कहने से उनकी महिमा में कमी नहीं होती.
Rahem Ke Dohe With Images
रहिमन अति न कीजिये , गहि रहिये निज कानि।
सैजन अति फुले तऊ, डार पात की हानि।।
अर्थ :- रहीम🙂 का कहना है कि मनुष्य👨🏼🦱 को किसी चीज 🚕की अति नहीं करनी चाहिए।
उसे अपनी मर्यादा नहीं छोड़नी चाहिए। जैसे सहिजन का वृक्ष जब अधिक फूल जाता है,
तो उसके डालियाँ पत्ते टूट टूट कर नष्ट हो जाते हैं।
खीर सिर ते काटी के, मलियत लौंन लगाय।
रहिमन करुए मुखन को, चाहिये यही सजाय॥
अर्थ: रहीम🙂दस जी कहते हैं कि खीरे के कड़वेपन को दूर🙏 करने के लिये उसके ऊपरी सिरे को काटकर
उस पर नमक लगाया जाता हैं ठीक वैसे ही कड़वे शब्द बोलने वालो के लिये भी ऐसी ही सजा होनी चाहिए ।
तरुवर फल नहिं खात है, सरवर पियहि न पान।
कहि रहीम पर काज हित, संपति सँचहि सुजान॥
अर्थ : रहीम🙂 का कहना है वृक्ष 🌲अपने फल🍒 स्वयं नहीं खाते हैं और सरोवर भी अपना पानी स्वयं नहीं पीती है।
इसी तरह अच्छे और सज्जन व्यक्ति वो हैं जो दूसरों के कार्य के लिए संपत्ति को संचित करते हैं।
Rahem Ke Dohe With meaning
कहि रहीम या जगत तें प्रीति गई दै टेर ।
रहि रहीम नर नीच में स्वारथ स्वारथ टेर ॥
अर्थ :-रहीम🙂 कहते है कि इस संसार प्रेम में समाप्त हो गया है, लोगों में केवल स्वार्थ रह गया
और दुनिया में स्वार्थी लोग रह गये हैं जिस कारण दुनिया खोखली हो गई है।
दीन सबन को लखत है, दीनहिं लखै न कोय।
जो रहीम दीनहिं लखै, दीनबन्धु सम होय।।
व्याख्या:-रहीम🙂 कहते हैं कि दीन व्यक्ति 👨🏼सबकी ओर आशा भरी नजरों से देखता है;
परन्तु कोई भी उसकी ओर सहायता☹️ करने के उद्देश्य से नहीं देखता
अर्थात कोई भी उसकी सहायता नहीं करना चाहता |
यदि कोई व्यक्ति दीन की ओर सहायता भरी दृष्टि से देखे, तो वह स्वयं ईश्वर ही न बन जाये।
परन्तु किसी के पास दीन लोगों के लिये समय नहीं होता और
यदि समय होता भी है, तो दया भावना नहीं होता है |
रहीम के प्रशिद्ध दोहे
कहि रहीम या जगत ते प्रीति गई दे टेर !
रही रहीम नर नीच में स्वारथ स्वारथ टेर !!
अर्थ :रहीम🙂 कहते है कि रहीम🙂 दास के अनुसार इस संसार🌎 में प्रेम 🥰 समाप्त हो गया है !
अब केवल लोगो में स्वार्थ शेष रह गया है !
पूरी दुनिया अब स्वार्थी हो गई है !
दुनिया अब मानव रहित खोखली हो गई है !
जो रहीम उत्तम प्रकृति, का करी सकत कुसंग।
चन्दन विष व्यापे नहीं, लिपटे रहत भुजंग।।
अर्थ: रहीम🙂 दास जी कहते हैं कि जो अच्छे स्वभाव 😇🙂के मनुष्य होते हैं,
उनको बुरी संगति भी नहीं बिगाड़ पाती।
जिस प्रकार जहरीले सांप सुगंधित चन्दन के वृक्ष से लिपटे रहने पर भी
उस पर कोई जहरीला प्रभाव नहीं डाल पाते।
हित रहीम इतने करे , जाकी जिती बिसात !
नहि यह रहे न वह रहे रहे कहन को बात !!
अर्थ : रहीम🙂 कहते है कि रहीम🙂 के अनुसार हमें लोगो की भलाई 😇अपने सामर्थ्य के अनुसार ही करनी चाहिए !
कि इस संसार में जो लोग छोटी – छोटी भलाई करते है उनको भी जाना है
और बड़े – बड़े उपकार करने वालो को भी जाना है !
केवल उनकी यादे और कर्म ही रह जाते है !
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संत रहीम दास के दोहे with meaning in Hindi
बड़े काम ओछो करै, तो न बड़ाई होय।
ज्यों रहीम हनुमंत को, गिरिधर कहे न कोय॥
अर्थ :- रहीम🙂 दास जी कहते हैं जब ओछे ध्येय के लिए लोग बड़े👲🏼 काम करते हैं
तो उनकी बड़ाई नहीं होती है। जब हनुमान जी ने धोलागिरी को उठाया था तो उनका नाम कारन ‘गिरिधर’👲🏼 नहीं पड़ा
क्योंकि उन्होंने पर्वत राज को छति पहुंचाई थी, पर जब श्री कृष्ण ने पर्वत उठाया
तो उनका नाम ‘गिरिधर’ पड़ा क्योंकि उन्होंने सर्व जन की रक्षा हेतु पर्वत को उठाया था।
समय पाय फल होता हैं, समय पाय झरी जात.
सदा रहे नहीं एक सी, का रहीम पछितात
अर्थ: रहीम🙂 कहते है कि रहीम🙂 के दोहे के अनुसार जो लोग उपकार 🥰 करते हैं
उनका शरीर धन्य है. जिस प्रकार मेहंदी लगाने वाले पर भी मेहंदी का रंग चढ़ जाता है
ठीक वैसे ही परोपकारी का शरीर भी सुशोभित हो जाता है.
जे गरीब पर हिट करैं, ते रहीम बड़ लोग।
कहाँ सुदामा बापुरो, कृष्ण मिताई जोग।।
अर्थ :- रहीम🙂 कहते हैं कि जो व्यक्ति गरीबों का मदद😇 करता है, वह बड़ा महँ होता है।
उदहारण- सुदामा बहुत गरीब था। लेकिन वह कृष्ण का मित्र था और कृष्ण ने उसे यश प्रदान कर अपने सामान बना लिया।
इसलिए श्रीकृष्ण आज भी महान😇 व पूजनीय है। दोनों का मित्रता भी गुनगन किया जाता है।